अज्ञात रहस्यमय तंत्रों की खोज
गुप्तसाधना तंत्र
यह ग्रंथ हमारे शोध व अनुसंधान के अनुसार है… क्योंकि मैने उन गोपनीय योगियों के सान्निध्य मे रहकर उन प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन व साधनाओं को किया है…
बहुत समय मैं तंत्रों की खोज व अनुसंधान मे कार्य कर रहा था.. क्योंकि आजकल तंत्र के विभीत्स रूप को जनमानस के बीच मे स्थापित कर दिया है… कुछ तथाकथित तांत्रिकों ने.. और जनसाधारण को तंत्र के नाम पर लूटते रहे.. है… और लोगों के जीवन से खिलवाड करते रहे..
बचपन से ही मेरा मन तंत्र के प्रति आकर्षित था… और साधनाओं को प्रति रूझान धीरे धीरे अत्याधिक बढता गया आज मेरी तंत्र की यात्रा को पूरे नौ साल हो गये है. और तंत्र शोध मे अनेक बहुत से गोपनीय तथ्य को जाना है.. और प्रमाणिक ज्ञान को प्राप्त किया है… और साधनामय जीवन की तपस्या को पूर्णता का ओर ले जाने का प्रयास कर रहा हूं.. जो तंत्र का अनुभव मुझे हुआ है… उसे जाने से पूर्व मैं आप सबके मध्य रखना चाहता हूं… जिससे आप सब तंत्र के वास्तविक स्वरूप को जान सके और तंत्र को अपने जीवन मे उतार सके. और यह गुप्तसाधना तंत्र जीवन का बहुत उच्चकोटी का तंत्र ग्रंथ है… क्योंकि उसके अंतर्गत साधको को अनेक बहुत गोपनीय जानकारी प्राप्त होगी… और कौलाचार से संबंधित सही और प्रमाणिक जानकारी भी प्राप्ति होगी… जो मैने स्वयं कुलाचार से साधनारत समय प्राप्त की है…
और यह ग्रंथ मात्र साधकों के ज्ञान की वृद्धि और सही रूप से तंत्र को जानने के लिए प्रकाशित कर रहा हूं… और आज से दिनांक 20 फरवरी 2017 से इसका लेखनकार्य को मैं प्रारम्भ कर रहा हूं… और भविष्य मे इसको प्रकाशित किया जायेगा कृति के रूप… क्योंकि अभी यह अधूरा ग्रंथ है… और पूर्ण ग्रंथ का शोध जारी है… जहां 12 पटलों का शोध मैने किया है वहां तक लिखने का प्रयास यहां पर जरूर करूंगा..
और जो अनु
भव मेरे कुलाचार पर है उन्हें यहां पर व्याख्या के रूप मे प्रकाशित किया है.. ताकि साधक को सही जानकारी प्राप्त हो.. यदि फिर भी साधक के मन मे कोई भी प्रश्न उत्पन्न है… या कोई विषय समझ नहीं आ रहा है. तो साधक हमसे पत्र व्यवहार या ब्हट्सअप या ईमेल या फोन कर सकते है. ….और हमने अपना पता पहले ही लिखा दिया है.. यहां पे.
… आज के समय तंत्र अपनी ख्याति खोता जा रहा है…. प्राचीन समय मे तंत्र हमारे पूर्वजों के पास था… जिसमे यह अपनी चरम उच्च सीमा पे था. और पूज्यनीय था.. और आज के समय लोग तंत्र से घृणा करते है.. भय खाते है. क्योंकि इन सबके सामने तंत्र के ठेकेदारों ने तंत्र के गलत स्वरूप को प्रकाशित किया… और लोगों को तंत्र के नाम पे लूटते जा रहे है.. और भोले भाले लोग अपने जीवन को बर्बाद करते जा रहे और समय को भी. अपने धन को भी. .
आज का युवक तंत्र प्रति आकर्षित बहुत है.. केवल वशीकरण और सिद्धियों को लिए.. अधिकतर साधक यही कहते है कि गुरू जी हमे साधना बता दो… और दीक्षा दे दो… और हम सिद्धि को प्राप्त कर लेंगे.. कुछ तो यही कहते है कि गुरू जी क्या आपके पास सिद्ध मंत्र नहीं होते है… साधना कोई तमाशा नहीं…क्योंकि तुम साधना करने आये हो या तमाशा करने… साधना करनी है तो यह तमाशा बंद करना होगा… साधना मे साधना के प्रतिपादित नियम ही करेंगे… जो प्राकृत है.. इसलिए यह गुप्त साधना तंत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है.. और उम्मीद करता हूं कि आपको यह तंत्र ग्रंथ पसंद आयेगा.. और आप सब इसे अपने जीवन मे उतारेंगे…. और साधना के क्षेत्र ने अपना एक कदम आगे बढायेंगे.. और मैं प्रार्थना करता सदगुरूदेवों व मांआदिशक्ति और परमपिता से आप सब तंत्र के सही रूप जान सके और अपने जीवन मे उतार सके..
प्रणाम
आप सबका अपना
निखिल ठाकुर…
अनुक्रमणिका
प्रथम: पटल.. कुलाचार महात्म्य
द्वितीय: पटल …तपस़्या एवं तीर्थ सेवा का फल
तृतीय: पटल …पच्ञागोपसाना
चतुर्थ: पटल….साधनोपय
पंचम: पटल…पुरस्क्रिया
षष्टम: पटल ….दक्षिणकालिका की आराधना विधि
सप्तम: पटल…परमतत्व
अष्टम :पटल…सिद्धारिचक्र
नवम: पटल…धनदा देवी के मंत्र, पूजाविधि
दशम: पटल.. मातांगी देवी के मंत्रादि
एकादश: पटल..माला वर्णन
द्वादश: पटल… परमाक्षरी गायत्री
गुप्त साधना तंत्र
प्रथमः पटल
कुलाचार महात्मय
कैलालशिखरे रम्ये नानारत्नोपशोभिते |
तं कदाचित सुखासिनं भगवन्तं त्रिलोचनम् ||
पप्रच्छ परया भक्तया देवी लोकहिते रता ||1||
एकदा भगवान त्रिलोचन नानारत्नोपशोभित मनोहर कैलासगिरी ~शिखर पर सुख से उपविष्ट थे, उसी समय देवी पार्वती ने लोक के हित ~साधन करने के मानस से परम भक्तिपूर्वक देवादिदेव महेश्वर से जिज्ञासा की ||1||
सम्पूर्ण तंत्र ग्रंथ मे भगवान शिव और माँ आदिशक्ति की वार्ता है… और माँ ने जनकल्याण के लिए भगवान से तंत्र ज्ञान को उजागरत करने की जिज्ञासा की… … और प्रेमवशीभुत भुतबाबन ने जग कल्याण के लिए तंत्र ज्ञान को प्रकाशित और माँआदि शक्ति को दिया…. जितने भी तंत्र ग्रंथ बने है उनके भैरव भैरवी संवाद, शिव पार्वती संवाद है… और सभी तंत्र ग्रंथ मे सही रूप से ज्ञान को इस धरा पर प्रकाशित किया है… पर कालांतर मैं तंत्र अपनी महिमा को खोता जा रहा है… कारण कुछ भीत्स तांत्रिकों के कारण… जिन्हे तंत्र का सही ज्ञान नही और अपने आप को सिद्ध मान बैठे है… तो आज मैं निखिल ठाकुर उन सभी गुप्त तंत्रों को फिर से जनमाना के मध्य लाने की प्रयास. कर रहा हूं… जो उन प्राचीन योगियों के पास सुरक्षित है… और जहां तक मेरा प्रयास और अनुसंधान पहुंचा है… वहां तक दो दो ग्रंथ मेरे हाथ मे लगे है… जिनका ज्ञान मुझे उन गुरूओं से प्राप्त हुआ जो अपने आप मे उच्चकोटी के है.. तो उसी ज्ञान को आज यहां सार्वजनिक कर रहा हूं… और जहां तक मेरा अध्ययन और प्रयास है मै वहां तक सही रूप से ज्ञान को आगे प्रसारित करने की कोशिश करूंगा…
गुप्त साधना तंत्र …..साधनात्मक जगत का बहुत ही उच्चकोटी का तंत्र है.. और इस तंत्र ग्रंथ मे 12 पटल है… पहला पटल कुलाचार महात्मय का है… और इसी तरह से 12 पटलों मे साधना से संबंधित अनेक तथ्य को साधकों के लिए इस तंत्र मे वर्णित है… जिन्हे हम धीरे धीरे समझेंगे…
यहां पर माँ सदाशिव से भक्तिपूर्वक लोक के हित साधन करने की जिज्ञासा को व्यक्त की है… और कहा कि हे देव आप मुझे उस तंत्र को कहो मुझसे जिससे जनमाना अपने आप का हित कर सके और सिद्धियों को प्राप्त कर सके..
श्रीदेव्युवाच —
देवदेव महादेव लोकानुग्रह कारक |
कुलाचारस्य माहात्म्यं पुरैवसूचितंत्वया ||2||
देवी ने कहा —
हे देवदेव! आप देवतागणों मे श्रेष्ठ हैं एवं सर्वदा समस्त लोकों के प्रति सातिशय अनुग्रह को प्रकट करते हैं | हे नाथ आपने पहले कुलाचार के महात्म्य का प्रकाशन किया है..||2||
माँ ने कहा कि हे देवादिदेव आप तो सबसे से श्रेष्ठ… देवताओं मे भी सर्वश्रेष्ठ है… और सदा सभी लोकों के प्रति उदार, कल्याणकारी और सभी से प्रेम दया करते है… अपना आभार प्रकट करते है… हे नाथों के नाथ.. आपने ही तो पहले कुलाचार के रहस्य को उजागरत किया था… और उसे जनकल्याण के लिए प्रतिपादित किया… है…
यहां पर मां कुलाचार के रहस्य को पुनः उजागरत करना चाहती है.. कुलाचार सभी के लिए एक रहस्य बना है.. और साधक कुलाचार से भय खाते है… और अपने आप को उससे दूर से जाते है… पर कुलाचार है क्या…. कभी समझने की कोशिश नहीं की… पहले तो मेरी भी धारणा कुलाचार के प्रति गलत थी… जब मैने कौलाचार मे प्रवेश किया…. और साधनारत रहा और साधनारत हूं तो मेरे अंदर जो भ्रांतिसाॉ थी वो स्वतः धीरे धीरे दूर हो गई.
गुरू जी ने कौलाचार के विषय मे बताया कि…… कौलाचार असली नाम नही है…… बल्कि तंत्र मे इसे कुलाचार या कुलमार्ग कहते है… और कुलाचार का अर्थ है अपने कुल के अनुसार आचरण करना है… जिसप्रकार से तुम्हारे पिता है… और उनके पिता अर्थात आपके दादा कुलाचार्य हुये.. क्योंकि उन्हीं के अनुसार तुम्हारे कुल का विस्तार हो रहा है… और आगे फिर तुम और तुम्हारे बच्चे. जो आपके अनुसार प्रतिपादित नियमों का पालन करते हुये जीवनयापन करते है.. तो उसे कुलाचार कहते है… और इस तंत्र ग्रंथ मे कौलाचार का सही नाम दिया है कुलाचार…… और माँ ने कहा कि आपने पहले कुलाचार पद्धति का विकास किया है… उसके रहस्य का सृष्टि मे प्रकाशित किसे है..
तत् कथं गोपितं देव मम प्राणेश्वर प्रभो |
कथयस्व महाभाग यद्यहं तव वल्लभा ||3||
हे प्राणेश्वर! इस समय उस कुलाचार (कौलाचार) के माहात्म्य को क्यों गोपित (गोपनीय) कर दिया है? हे! देवेश्वर उसे मेरे निकट बतावें | हे महाभाग! यदि आप मुझे प्राणवल्लभा रूप में जानते हैं, तब इस समय मेरे निकट उस गोपनीय कुलाचार महात्म्य को प्रकाशित करें..
मां ने परमपिता से कहा कि पहले तो आपने कुलाचार को प्रकाशित किया… और उसके माध्यम से सृजन आदि क्रिया को पूर्ण किया और अब आपने उसे गोपनीय कर दिया… गुप्त से गुप्त कर दिया…यह तो सत्य है कि कौलाचार एक गोपनीय मार्ग है.. .जिसमें साधना गुप्त रूप से सम्पन्न होती है… और आज तक कौलाचार जनमानस के मध्य नहीं आया पाया है.. और अधिकतर आज के समय साधकों ने इस मार्ग को समझने या जानने की कोशिश नहीं की है… और जिन्होंने इस मार्ग मे निष्णात प्राप्त की है तोअपने आप कही चुपचाप शांत व आनन्दमय से साधना मे लीन है… संलग्न है. ..
माँ ने यहां पर परमपिता से कहा कि आप उस गोपनीय पद्धति के मुझे बताये.. कि कौलाचार क्या है.. यदि मैं आपकी प्राणप्रिय हूं… या आप मुझे अपने प्राणेश से अधिक प्रेम करते है तो हे… महाभाग आप मुझसे इस गोपनीय ज्ञान को कहें.. माँ ने जनकल्याण की भावना से महादेव से यह प्रार्थना की…
और आज कौलाचार से संबंधित जो कुछ ज्ञान है वे केवल योगियों के पास सुरक्षित है… और आज भी यह ज्ञान गुप्त है.. कौलाचार मार्ग ब्रह्म को जानने के मार्ग है.. ब्रह्मवेता होने का मार्ग है… ब्रह्म मे स्थित होने का मार्ग है… और सृष्टि के समस्त गुढ रहस्यों को जानने मार्ग है.. और वैरभाव से अपने आप को हर स्थिति मे कायम रखने का मार्ग है.. कौलाचार पद्धति से यदि साधक की दीक्षा हो जाये… तो वह साधक ज्ञान के एक नये तंतुओं से जुड़े जाता है.. और धीरे धीरे जीवन मे वह साधना के उच्चतम शिखिर पर पहुंच जाता है.. और उस साधक पर कोई शक्ति का प्रहार असर नहीं करता है… चाहे वह मारण हो… या अन्य… यह मेरा स्वयं की अनुभव है..
क्रमशः
सिद्धहिमालय सिद्धपीठ