Thursday, 2 March 2017



साधना से पूर्व अपने मन को साधना के प्रति निष्ठावान बनाओ…. उसके करने के लिए तैयार करो, जब तक तुम किसी कार्य करने के लिए अपने अंदर प्रेम, जोश, साहस, आस्था, और निष्ठा का विकास नहीं करेंगे…. तब तक वह कार्य सौ बार करने पर भी… पूर्ण नहीं हो पाता है…. कार्य के प्रति जाग्रति होनी चाहिए… दिलचस्पी होनी चाहिये… जब कार्य मे मन, व दिल एकजूट होकर कार्यरत हो जाता है तो वह दैवीक रूप…. चमत्कारिक रूप पूर्ण हो जाता है… और साधना का मार्ग भी ऐसा ही है….
साधना सूत्र..
. …..निखिल ठाकुर…..

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